शिवपुरी में डॉक्टर और एम्बुलेंस की लापरवाही से एक प्रसूता की जान चली गई। प्रसूता को कोलारस के स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल के लिए रैफर किया गया था। लेकिन डॉक्टर प्रसूता का रैफर पर्चा एम्बुलेंस के स्टाफ को देना भूल गया। वहीँ एम्बुलेंस के स्टाफ ने बिना रैफर पर्चा के ही प्रसूता को जिला अस्पताल में लाकर छोड़ दिया। बाद में कोलारस स्वास्थ्य केंद्र से भर्ती पर्चे को वाट्सएप पर मगाने में करीब एक घंटे के समय लग गया। देरी से उपचार शुरू होने के चलते प्रसूता की मौत हो गई। परिजनों ने कोलारस के स्वास्थ्य केंद्र सहित जिला अस्पताल प्रवंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
कोलारस थाना क्षेत्र के पारागढ के रहने वाले सनी आदिवासी ने बताया कि उसकी चाची सोमवती (30) पत्नी मान सिंह आदिवासी को बुधवार की रात 9 बजे प्रसव के लिए कोलारस के अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां नर्सिंग स्टाफ ने उपचार में लापरवाही बरती थी। रात में ही चाची को जिला अस्पताल रैफर कर दिया। करीब 12 बजे एम्बुलेंस की मदद से जिला अस्पताल पहुंच गए थे। जिला अस्पताल में नर्सिग स्टाफ द्वारा भारती और रैफर पर्चे की मांग की गई थी। लेकिन कोलारस के अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने भर्ती पर्चा दिया ही नहीं था और एम्बुलेंस का स्टाफ भी डॉक्टर से भर्ती पर्चा लेना भूल गया था। बाद डॉक्टर से सम्पर्क कर व्हाट्सएप पर भर्ती पर्चा की कॉपी कोलारस से मंगाई थी। इसमें करीब एक घंटे का समय लग गया था। जब तक देर हो चुकी थी। चाची का उपचार शुरू होते ही उनकी मौत हो गई थी।
इस मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन बी एल यादव हैं कि प्रसूता का ओपीडी का पर्चा रात डेढ़ बजे बना था और 02:05 मिनिट पर उसकी मौत हो गई थी। प्रसूता गंभीर हाल में जिला अस्पताल लाई गई थी। उपचार के लिए पर्याप्त समय डॉक्टरों को नहीं मिल सका था। बता दें कि वहीँ परिजनों का दावा हैं कि वह 12 बजे जिला अस्पताल पहुंच गए थे। वहीँ अस्पताल प्रवंधन प्रसूता का ओपीडी पर्चा डेढ़ बजे बनने की बात कह रहा हैं। प्रसूता के जिला अस्पताल पहुचने और ओपीडी पर्चा बनने में डेढ़ घंटे का अंतराल हैं। परिजनों का आरोप हैं कि समय पर उपचार मिलता तो प्रसूता की जान बच भी सकती थी।