4 आदिवासी युवकों को गुजरात में बंधक बनाया, परिजन लगा रहे वापसी की गुहार, मानव तस्करी का मामला, मोबाइल छीनकर दी जा रही शारीरिक प्रताड़ना

Shivpuri First
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शिवपुरी जिले में मानव तस्करी का एक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें सुरवाया थाना क्षेत्र के ग्राम भड़ावावड़ी के चार आदिवासी युवकों को मजदूरी के बहाने गुजरात ले जाकर बंधक बना लिया गया है। परिजन अपने बच्चों की वापसी के लिए रोते-बिलखते दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।


गुजरात में शारीरिक शोषण का शिकार - 

पीड़ितों के परिजनों का आरोप है कि अनूप राजपूत उर्फ सुशील नामक दलाल ने इन युवकों को हर महीने 20-20 हजार रुपए वेतन और खाने-रहने की सुविधाओं का झांसा देकर गुजरात के हिम्मतनगर भेजा था। लेकिन वहां पहुंचते ही उनका मोबाइल फोन छीन लिया गया और उन्हें बंधक बनाकर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है। परिजनों का कहना है कि युवक न तो घर लौट पा रहे हैं और न ही किसी से संपर्क कर पा रहे हैं। उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर कैद कर रखा गया है।

परिजनों की फरियाद पर भी पुलिस का रवैया उदासीन - 

परिजनों ने इस मामले की शिकायत सुरवाया थाने में की थी। लेकिन पुलिस ने उन्हें खुद जाकर जानकारी लेने की सलाह देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। पुलिस की लापरवाही के चलते अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पीड़ितों के परिजनों ने यह भी आरोप लगाया है कि इस घटना में गांव के ही रघुवीर आदिवासी और भागवती आदिवासी जैसे स्थानीय लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने इन मजदूरों को ठगने में मदद की है।

महिला गार्ड के फोन से मिली थी खबर - 

परिजनों को अपने बच्चों की जानकारी एक महिला गार्ड के माध्यम से मिली थी, जिसने अपने फोन से पीड़ित युवकों की बात करवाई थी। युवकों ने फोन पर रोते हुए बताया कि उनकी जान को खतरा है और वे किसी भी तरह घर वापस आना चाहते हैं।

सहरिया क्रांति ने उठाई मांग - 

सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप किया जाए और पीड़ितों को सुरक्षित वापस लाया जाए। उन्होंने कहा कि यह घटना दर्शाती है कि गरीब आदिवासी आज भी मानव तस्करी और शोषण का शिकार हो रहे हैं। वहीं थाना सुरवाया प्रभारी ने कहा है कि इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है और पुलिस जल्द ही पीड़ितों को छुड़ाने के लिए ठोस कदम उठाएगी। लेकिन देखना यह होगा कि प्रशासन कितनी तेजी से कार्रवाई करता है या यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।
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